कंप्यूटर ज्ञान-1
१. कंप्युटर का जनक किसे कहा जाता है-
उत्तर - चार्ल्स बैवेज
२. विश्व के पहले इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्युटर का क्या नाम है-
उत्तर- एनियक
३.भारत में निर्मित पहले कंप्युटर का क्या नाम है-
उत्तर- सिद्धार्थ
४. भारत मे पहला कंप्युटर कहाँ लगाया गया था-
उत्तर- १६ अगस्त १९८६ को बैंगलोर के प्रधान डाकघर में
५. कंप्युटर मे प्रयुक्त होने वाला IC चिप्स किसका बना होता है-
उत्तर - सिलिकॉन
६. भारत की पहली कंप्युटर मैग्जीन का क्या नाम है-
उत्तर- डेटा क्वेस्ट
७. विश्व की पहली कंपनी जिसने कंप्युटर बेचने के लिये बनाया था-
उत्तर- रेमिंगटन रैंड कॉर्पोरेशन
८. भारत की सिलिकॉन वैली कहाँ स्थित है-
उत्तर- बैंगलोर
९. कंप्युटर विज्ञान मे पी. एच डी. करने वाले पहले भारतीय कौन हैं-
उत्तर- डॉ. राजरेड्डी
१०. आई.बी.एम. का पुरा नाम क्या है-
उत्तर- इंटर्नेशनल बिजनेस मशीन
११. भारत मे कंप्युटर की सहायता से संगितबद्ध किया गया पहला एलबम-
उत्तर- बेबी डॉल
१२. प्रोग्राम हेतु विकसित की गयी पहली भाषा कौन सी थी-
उत्तर- फोरट्रॉन
१३. सबसे पहली बार किस कंप्युटर में निर्वात ट्युब के बजाय ट्राँजिस्टर क प्रयोग किया गया था-
उत्तर- IBM-1401
14. प्रथम पुर्णतया इलेक्ट्रॉनिक कंप्युटर का अविष्कार किसने किय था-
उत्तर- डॉ. अलान एम. तूरिंग
१५. पर्सनल कंप्युटर सबसे पहले किस कंपनी ने बनाया था-
उत्तर- IBM
16. भारत में खोजे गए पहले कंप्यूटर वायरस का क्या नाम है-
उत्तर- सी ब्रेन
१७. विकलांगो के लिए विशेष रूप से बनाये गए कंप्यूटर का क्या नाम है-
उत्तर- ऑल राइट
१७. पहली राजनीतिक पार्टी जिसने अपना वेब पोर्टल बनाया -
उत्तर- भारतीय जनता पार्टी
१८. इंटरनेट से जुड़ने वाला पहला भारतीय तीर्थ स्थल कौन सा है-
उत्तर- वैष्णो देवी मंदिर
१९. विश्व की पहली महिला कंप्यूटर प्रोग्रामर -
उत्तर- एडा ऑगस्टा
२०. भारत का वह पहला राज्य जिसने पहली बार इंटरनेट पर राज्य कि टेलीफोन डायरेक्टरी उपलब्ध कराई-
उत्तर- सिक्किम
२१. इंटरनेट पर विश्व पहला उपन्यास किसने लिखा-
उत्तर- स्टीफन किंग -राइडिंग द बुलेट
1.आज किस सॉफ्टवेयर कम्पनी को विश्व में पहला स्थान प्राप्त है?
माइक्रोसॉफ्ट | |
इन्फोसिस | |
निट | |
सत्यम |
2.0 या 1 के अंक को क्या कहा जाता है?
बिट | |
निबल | |
बाइट | |
पल्स |
3.अमेरिकन कम्पनी माइक्रोसॉफ्ट का संस्थापक कौन है?
जैक्सन | |
बिल गेट्स | |
डैविड लिबी | |
इनमें से कोई नहीं |
4.कम्प्यूटर में प्रोग्रामन हेतु विकसित की गयी सर्वप्रथम भाषा कौन सी है?
अरुगोल | |
बेसिक | |
पायलट | |
फोरट्रान |
5.निम्न में से कौन-सी वह सर्वप्रथम कम्पनी है, जिसने कम्प्यूटर को बेचने के लिए बनाया था?
इंटरनेशनल बिजनेस मशींस कॉर्पोरेशन | |
रेमिंग्टन रैण्ड कॉर्पोरेशन | |
इंग्लिश इलेक्ट्रिक कम्प्यूटर लिमिटेड | |
माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन |
6.कम्प्यूटर का नियंत्रक भाग कौन सा है?
प्रिन्टर | |
सेन्ट्रल प्रोसेसिंग | |
की-बोर्ड | |
बी.डी.यू. यूनिट |
7.निम्नलिखित में से किस प्रदेश को 'भारत का सिलिकॉन राज्य' कहा जाता है?
गोवा | |
आन्ध्र प्रदेश | |
केरल | |
कर्नाटक |
8.1 के.बी. बराबर क्या है?
1024 बिट्स | |
1000 बिट्स | |
1000 बाइट्स | |
1024 बाइट्स |
9.वायुयान की उड़ानों को इंटरनेट पर दर्शाने वाली पहली एयरलाइंस थी?
यूनाइटेड एयरलाइंस | |
सिंगापुर एयरलाइंस | |
अमीरात एयरलाइंस | |
एयर कनाडा |
10.विश्व का सबसे तेज़ कम्प्यूटर कौन-सा है?
टी-3 ए | |
येन्हा-3 | |
परम-10000 | |
जे-8 |
11.ई-व्यापार का अर्थ क्या है?
निर्यात व्यापार | |
यूरोपीय देशों से व्यापार | |
इंटरनेट पर व्यापार | |
उपर्युक्त में से कोई नहीं |
12.'फिनेकल कोर' नामक बैकिंग सॉफ्टवेयर का विकास निम्न में से किस आई. टी. कम्पनी ने किया?
विप्रो | |
सत्यम् | |
इन्फोसिस | |
इन्फ्लेक्स |
13.संगणक (कम्प्यूटर) वह यंत्र है, जो मानवी मस्तिष्क को प्रतिस्थापित करता है। संगणक की यह परिभाषा?
सही है | |
ग़लत है | |
अंशत: सही है | |
इनमें से कोई नहीं |
ANS:3
14.कम्प्यूटर शब्दकोष में सी. डी. अक्षरों का प्रयोग किसके लिए किया जाता है?
कॉम्पेक्ट डिस्क | |
कॉम्प्रेस्ड डिस्क | |
कम्प्यूटराइज्ड डाटा | |
कॉम्प्रेस्ड डाटा |
15.किसी कम्प्यूटर में निम्न में से कौन-सा एक ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं है?
विन्डो | |
यूनिक्स | |
एम.एस. डॉस | |
पेंटियम |
16.कम्प्यूटर में प्रयुक्त ऐसेम्बली भाषा है?
अंग्रेज़ी और गणितीय संकेत | |
केवल बाइनरी संख्याएँ | |
निमॉनिक्स | |
फोरट्रान |
17.निम्नलिखित में से कौन-सी कम्प्यूटर की भाषा नहीं है?
बेसिक | |
जावा | |
सुमात्रा | |
फोरट्रान |
18.'मिलेनियम' से तात्पर्य है?
100 वर्ष | |
10 वर्ष | |
10000 वर्ष | |
1000 वर्ष |
19.कम्प्यूटर की भौतिक बनावट कहलाती है?
सॉफ्टवेयर | |
हार्डवेयर | |
ह्यूमनवेयर | |
इनमें से कोई नहीं |
20.फ्लॉपी डिस्क में होता है?
76 ट्रैक्स एवं 26 सॅक्टर | |
77 ट्रैक्स एवं 26 सॅक्टर | |
67 ट्रैक्स एवं 45 सॅक्टर | |
76 ट्रैक्स एवं 25 सॅक्टर |
21.फ्लॉपी डिस्क के एक सॅक्टर में होता है?
256 बाइट | |
128 बाइट | |
64 बाइट | |
124 बाइट |
22.एक बाइट बराबर है?
6 बिट्स | |
7 बिट्स | |
8 बिट्स | |
5 बिट्स |
23.सी.ए.डी. (CAD) का क्या तात्पर्य है?
कम्प्यूटर एल्गोरिथ्म फॉर डिज़ाइन | |
कम्प्यूटर एडेड डिज़ाइन | |
कम्प्यूटर एप्लीकेशन इन डिज़ाइन | |
उपर्युक्त में से कोई नहीं |
24.कम्प्यूटर के मस्तिष्क को कहते हैं?
स्मृति | |
कुंजी पटल | |
हार्ड डिस्क | |
सी.पी.यू |
25.'पोर्टल' शब्द किससे जुड़ा है?
औषधि विज्ञान | |
भवन निर्माण कला | |
कम्प्यूटर वायरस | |
इंटरनेट |
26.मेगाबाइट में नापते हैं?
भूकम्प की तीव्रता | |
जनसंख्या घनत्व | |
कम्प्यूटर की स्मृति क्षमता | |
शक्ति व्यय की क्षमता |
27.विश्व की सबसे बड़ी कम्प्यूटर निर्माता कम्पनी कौन-सी है?
आई.बी.एम (IBM) | |
कॉम्पेक (Compaq) | |
एच.पी (HP) | |
एच.सी.एल (HCL) |
28.इंटरनेट का जनक कौन है?
बिल गेट्स | |
डॉ. विन्टल जी सर्फ | |
विमल जालान | |
मासायोशी सन |
29.किस ब्राण्ड नेम से एम.टी.एन.एल. ने 168 देशों के लिए इंटरनेट टेलीफ़ोन सेवा शुरू की थी।
बोल-अनमोल | |
बातें अनमोल | |
टॉक टाइम | |
टॉकी |
ANS :2
कम्प्यूटर का क्रमिक विकास
- 1623 ई.: जर्मन गणितज्ञ विल्हेम शीकार्ड ने प्रथम मैकेनिकल कैलकुलेटर का विकास किया। यह कैलकुलेटर जोडऩे, घटाने, गुणा व भाग में सक्षम था।
- 1642 ई.: फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज़ पास्कल ने जोडऩे व घटाने वाली मशीन का आविष्कार किया।
- 1801 ई.: फ्रांसीसी वैज्ञानिक जोसेफ मेरी जैकार्ड ने लूम (करघे) के लिए नई नियंत्रण प्रणाली का प्रदर्शन किया। उन्होंने लूम की प्रोग्रामिंग की, जिससे पेपर कार्डों में छेदों के पैटर्न के द्वारा मशीन को मनमुताबिक वीविंग ऑपरेशन (weaving operation) का आदेश दिया जाना सम्भव हो गया।
- 1833-71 ई.: ब्रिटिश गणितज्ञ और वैज्ञानिक चाल्र्स बैबेज ने जैकार्ड पंच-कार्ड प्रणाली का प्रयोग करते हुए 'एनालिटिकल इंजन' का निर्माण किया। इसे वर्तमान कम्प्यूटरों का अग्रदूत माना जा सकता है। बैबेज की सोच अपने काल के काफी आगे की थी और उनके आविष्कार को अधिक महत्व नहीं दिया गया।
- 1889 ई.: अमेरिकी इंजीनियर हरमन हॉलेरिथ ने 'इलेक्ट्रो मैकेनिकल पंच कार्ड टेबुलेटिंग सिस्टम' को पेटेंट कराया जिससे सांख्यिकी आँकड़े की भारी मात्रा पर कार्य करना सम्भव हो सका। इस मशीन का प्रयोग अमेरिकी जनगणना में किया गया।
- 1941 ई.: जर्मन इंजीनियर कोनार्ड जि़से ने प्रथम पूर्णतया क्रियात्मक डिज़ीटल कम्प्यूटर Z3 का आविष्कार किया जिसे प्रोग्राम द्वारा नियंत्रित किया जा सकता थार्। Z3 इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर नहीं था। यह विद्युतीय स्विचों पर आधारित था जिन्हें रिले कहा जाता था।
- 1942 ई.: आइओवा स्टेट कॉलेज के भौतिकविद जॉन विंसेंट अटानासॉफ और उनके सहयोगी क्लिफोर्ड बेरी ने प्रथम पूर्णतया इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर के कार्यात्मक मॉडल का निर्माण किया जिसमें वैक्यूम ट्यूबों का प्रयोग किया गया था। इसमें रिले की अपेक्षा तेजी से काम किया जा सकता था। यह प्रारंभिक कम्प्यूटर प्रोग्रामेबल नहीं था।
- 1944 ई.: आईबीएम और हार्वर्ड यूनीवॢसटी के प्रोफेसर हॉवर्ड आइकेन ने प्रथम लार्ज स्केल ऑटोमेटिक डिजीटल कम्प्यूटर 'मार्क-1Ó का निर्माण किया। यह रिले आधारित मशीन 55 फीट लम्बी व 8 फीट ऊँची थी।
- 1943 ई.: ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मन कोडों को तोडऩे के लिए इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर 'कोलोससÓ का निर्माण किया।
- 1946 ई.: अमेरिकी सेना के लिए पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में भौतिकविद् जॉन माउचली और इंजीनियर जे. प्रेस्पर इकेर्ट ने 'इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटेड एंड कम्प्यूटर - इनिएक' (ENIAC) का निर्माण किया। इस कमरे के आकार वाले 30 टन कम्प्यूटर में लगभग 18,000 वैक्यूम ट्यूब लगे थे। इनिएक की प्रोग्रामिंग अलग-अलग कार्य करने के लिए की जा सकती थी।
- 1951 ईं.: इकेर्ट और माउचली ने प्रथम कॉमर्शियल कम्प्यूटर 'यूनिवेक' (UNIVAC) का निर्माण किया (सं.रा. अमेरिका)।
- 1969-71 ईं.: बेल लेबोरेटरी में 'यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम' का विकास किया गया।
- 1971 ईं.: इंटेल ने प्रथम कॉमॢशयल माइक्रोप्रोसेसर '4004Ó का विकास किया। माइक्रोप्रोसेसर चिप पर सम्पूर्ण कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग यूनिट होती है।
- 1975 ईं.: व्यावसायिक रूप से प्रथम सफल पर्सनल कम्प्यूटर 'MITS Altair 8800' को बाजार में उतारा गया। यह किट फार्म में था जिसमें की-बोर्ड व वीडियो डिस्प्ले नहीं थे।
- 1976 ईं.: पर्सनल कम्प्यूटरों के लिए प्रथम वर्ड प्रोग्रामिंग प्रोग्राम 'इलेक्ट्रिक पेंसिलÓ का निर्माण।
- 1977 ईं.: एप्पल ने 'एप्पल-II' को बाजार में उतारा, जिससे रंगीन टेक्स्ट और ग्राफिक्स का प्रदर्शन संभव हो गया।
- 1981 ईं.: आई बी एम ने अपना पर्सनल कम्प्यूटर बाजार में उतारा जिसमें माइक्रोसॉप्ट के ष्ठह्रस् (डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम) का प्रयोग किया गया था।
- 1984 ईं.: एप्पल ने प्रथम मैकिंटोश बाजार में उतारा। यह प्रथम कम्प्यूटर था जिसमें त्रढ्ढ (ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस) और माउस की सुविधा उपलब्ध थी।
- 1990 ई.: माइक्रोसॉफ्ट ने अपने ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस का प्रथम वजऱ्न 'विंडोज़ 3.0Ó बाजार में उतारा।
- 1991 ई.: हेलसिंकी यूनीवॢसटी के विद्यार्थी लाइनस टोरवाल्ड्स ने पर्सनल कम्प्यूटर के लिए 'लाइनेक्सÓ का आविष्कार किया।
- 1996 ई.: हाथ में पकडऩे योग्य कम्प्यूटर 'पाम पाइलटÓ को बाजार में उतारा गया।
- 2001 ई.: एप्पल ने मैकिंटोश के लिए यूनिक्स आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम 'ह्रस् ङ्गÓ को बाजार में उतारा।
- 2002 ई.: कम्प्यूटर इंडस्ट्री रिसर्च फर्म गार्टनेर डेटा क्वेस्ट के अनुसार 1975 से वर्तमान तक मैन्यूफैक्चर्ड कम्प्यूटरों की संख्या 1 अरब पहुँची।
- 2005 ई.: एप्पल ने घोषणा की कि वह 2006 से अपने मैकिंटोश कम्प्यूटरों में इंटेल माइक्रोप्रोसेसरों का प्रयोग आरंभ कर देगा।
सुपर कम्प्यूटर
आधुनिक परिभाषा के अनुसार वे कम्प्यूटर जिनकी मेमोरी स्टोरेज (स्मृति भंडार) 52 मेगाबाइट से अधिक हो एवं जिनके कार्य करने की क्षमता 500 मेगा फ्लॉफ्स (Floating Point operations per second - Flops) हो, उन्हें सुपर कम्प्यूटर कहा जाता है। सुपर कम्प्यूटर में सामान्यतया समांतर प्रोसेसिंग (Parallel Processing) तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
सुपर कम्प्यूटिंग शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1920 में न्यूयॉर्क वल्र्ड न्यूज़पेपर ने आई बी एम द्वारा निर्मित टेबुलेटर्स के लिए किया था। 1960 के दशक में प्रारंभिक सुपरकम्प्यूटरों को कंट्रोल डेटा कॉर्पोरेशन, सं. रा. अमेरिका के सेमूर क्रे ने डिजाइन किया था।
सुपरकम्प्यूटर की परिभाषा काफी अस्पष्टï है। वर्तमान के सुपर कम्प्यूटर आने वाले समय के साधारण कम्प्यूटर करार दिए जा सकते हैं। 1970 के दशक के दौरान अधिकाँश सुपर कम्प्यूटर वेक्टर प्रोसेसिंग पर आधारित थे। 1980 और 1990 के दशक से वेक्टर प्रोसेङ्क्षसग का स्थान समांतर प्रोसेसिंग तकनीक ने ले लिया। समांतर प्रोसेसिंग तकनीक में बहुत सारे माइक्रोप्रोसेसरों का प्रयोग एक-दूसरे से जोड़कर किया जाता है। ये माइक्रोप्रोसेसर किसी समस्या को उनकी माँगों (demands) में विभाजित करके उन माँगों पर एक साथ कार्य करते हैं। सुपर कम्प्यूटर में 32 या 64 समानांतर परिपथों में कार्य कर रहे माइक्रोप्रोसेसरों के सहयोग से विभिन्न सूचनाओं पर एक साथ कार्य किया जाता है, जिससे सुपर कम्प्यूटर में 5 अरब गणनाओं की प्रति सेकेण्ड क्षमता सुनिश्चित हो जाती है। इस प्रकार बहुत सारी गणनाओं की आवश्यकताओं वाली जटिल समस्याओं के समाधान हेतु सुपर कम्प्यूटर का उपयोग किया जाता है।
प्रारंभिक सुपर कम्प्यूटर की गति मेगा फ्लॉफ्स (106 फ्लॉफ्स) में पाई जाती थी, परंतु अब यह गति साधारण सुपर कम्प्यूटर की गति बनकर रह गई है। वर्तमान में सुपर कम्प्यूटरों में गीगा फ्लॉफ्स (109 फ्लाफ्स) की गति पाई जाती है।
प्रयोग
सुपर कम्प्यूटरों का प्रयोग उच्च-गणना आधारित कार्यों में किया जाता है। उदाहरण- मौसम की भविष्यवाणी, जलवायु शोध (वैश्विक ऊष्णता से सम्बंधित शोध भी इसमें शामिल है), अणु मॉडलिंग (रासायनिक यौगिकों, जैविक वृहद् अणुओं, पॉलीमरों और क्रिस्टलों के गुणों और संरचनाओं की कम्प्यूटिंग) इत्यादि। सैन्य और वैज्ञानिक एजेंसियां इसका काफी उपयोग करती हैं।
सुपर कम्प्यूटर चुनौतियाँ और तकनीक
- सुपर कम्प्यूटर भारी मात्रा में ऊष्मा पैदा करते हैं और उनका शीतलन आवश्यक है। अधिकाँश सुपर कम्प्यूटरों को ठंडा करना एक टेढ़ी खीर है।
- किसी सुपर कम्प्यूटर के दो भागों के मध्य सूचना प्रकाश की गति से अधिक तेजी से नहीं पहुँच सकती है। इसकी वजह से सेमूर क्रे द्वारा निर्मित सुपर कम्प्यूटर में केबल को छोटे से छोटा रखने की कोशिश की गई, तभी उनके क्रे रेंज के सुपर कम्प्यूटरों का आकार बेलनाकार रखा गया।
- सुपर कम्प्यूटर अत्यन्त अल्प काल के दौरान डाटा की विशाल मात्रा का उत्पादन व खपत कर सकते हैं। अभी 'एक्स्टर्नल स्टोरेज बैंडविड्थ' (external storage bandwidth) पर काफी कार्य किया जाना बाकी है। जिससे यह सूचना तीव्र गति से हस्तांतरित और स्टोर की/पाई जा सके।
सुपर कम्प्यूटरों के लिए जो तकनीक विकसित की गई हैं वे निम्न हैं-
- वेक्टर प्रोसेसिंग
- लिक्विड कूलिंग
- नॉन यूनीफॅार्म मेमोरी एक्सेस (NUMA)
- स्ट्राइप्ट डिस्क
- पैरेलल फाइल सिस्टम्स
सामान्य प्रयोजन वाले सुपर कम्प्यूटरों के प्रयोग
इनके तीन प्रकार होते हैं-
इनके तीन प्रकार होते हैं-
- वेक्टर प्रोसेसिंग सुपर कम्प्यूटरों में एक साथ काफी विशाल मात्रा के डाटा पर कार्य किया जा सकता है।
- काफी कसकर जुड़े हुए क्लस्टर सुपर कम्प्यूटर कई प्रोसेसरों के लिए विशेष रूप से विकसित इंटरकनेक्ट्स का उपयोग करते हैं और उनकी मेमोरी एक-दूसरे को सूचना देती है। सामान्य प्रयोग वाले तेज गति के सुपर कम्प्यूटर आज इस तकनीक का उपयोग करते हैं।
- कॉमोडिटी क्लस्टर्स सुपर कम्प्यूटर काफी संख्या में कॉमोडिटी पर्सनल कम्प्यूटरों का प्रयोग करते हैं, जो उच्च बैंडविड्थ के लोकल एरिया नेटवर्कों से जुड़े रहते हैं।
विशेष प्रयोजन वाले सुपर कम्प्यूटर
विशेष प्रयोजन वाले सुपर कम्प्यूटर उच्च-कार्य क्षमता वाली कम्प्यूटिंग मशीनें होती हंै जिनका हार्डवेयर आर्किटेक्चर एक समस्या विशेष के लिए होता है। इनका प्रयोग खगोल-भौतिकी, गणनाओं और कोड ब्रेकिंग अनुप्रयोगों में किया जाता है।
भारत में सुपर कम्प्यूटर
भारत में प्रथम सुपर कम्प्यूटर क्रे-एक्स MP/16 1987 में अमेरिका से आयात किया गया था। इसे नई दिल्ली के मौसम केंद्र में स्थापित किया गया था। भारत में सुपर कम्प्यूटर का युग 1980 के दशक में उस समय शुरू हुआ जब सं. रा. अमेरिका ने भारत को दूसरा सुपर कम्प्यूटर क्रे-एक्स रूक्क देने से इंकार कर दिया। भारत में पूणे में 1988 में सी-डैक (C-DAC) की स्थापना की गई जो कि भारत में सुपर कम्प्यूटर की तकनीक के प्रतिरक्षा अनुसंधान तथा विकास के लिए कार्य करता है। नेशनल एयरोनॉटिक्स लि. (NAL) बंगलौर में भारत का प्रथम सुपर कम्प्यूटर 'फ्लोसॉल्वरÓ विकसित किया गया था। भारत का प्रथम स्वदेशी बहुउद्देश्यीय सुपर कम्प्यूटर 'परमÓ सी-डैक पूणे में 1990 में विकसित किया गया। भारत का अत्याधुनिक कम्प्यूटर 'परम 10000Ó है, जिसे सी-डैक ने विकसित किया है। इसकी गति 100 गीगा फ्लॉफ्स है। अर्थात् यह एक सेकेण्ड में 1 खरब गणनाएँ कर सकता है। इस सुपर कम्प्यूटर में ओपेन फ्रेम (Open frame) डिजाइन का तरीका अपनाया गया है। परम सुपर कम्प्यूटर का भारत में व्यापक उपयोग होता है और इसका निर्यात भी किया जाता है। सी-डैक में ही टेराफ्लॉफ्स क्षमता वाले सुपर कम्प्यूटर का विकास कार्य चल रहा है। यह परम-10000 से 10 गुना ज्यादा तेज होगा।
सी-डैक ने ही सुपर कम्प्यूटिंग को शिक्षा, अनुसंधान और व्यापार के क्षेत्र में जनसुलभ बनाने के उद्देश्य से पर्सनल कम्प्यूटर पर आधारित भारत का पहला कम कीमत का सुपर कम्प्यूटर 'परम अनंतÓ का निर्माण किया है। परम अनंत में एक भारतीय भाषा का सर्च इंजन 'तलाशÓ, इंटरनेट पर एक मल्टीमीडिया पोर्टल और देवनागरी लिपि में एक सॉफ्टवेयर लगाया गया है। यह आसानी से अपग्रेड हो सकता है, जिससे इसकी तकनीक कभी पुरानी नहीं पड़ती है।
अप्रैल 2003 में भारत विश्व के उन पाँच देशों में शामिल हो गया जिनके पास एक टेरॉफ्लॉफ गणना की क्षमता वाले सुपरकम्प्यूटर हैं। परम पद्म नाम का यह कम्प्यूटर देश का सबसे शक्तिशाली कम्प्यूटर है।
सी-डैक ने ही सुपर कम्प्यूटिंग को शिक्षा, अनुसंधान और व्यापार के क्षेत्र में जनसुलभ बनाने के उद्देश्य से पर्सनल कम्प्यूटर पर आधारित भारत का पहला कम कीमत का सुपर कम्प्यूटर 'परम अनंतÓ का निर्माण किया है। परम अनंत में एक भारतीय भाषा का सर्च इंजन 'तलाशÓ, इंटरनेट पर एक मल्टीमीडिया पोर्टल और देवनागरी लिपि में एक सॉफ्टवेयर लगाया गया है। यह आसानी से अपग्रेड हो सकता है, जिससे इसकी तकनीक कभी पुरानी नहीं पड़ती है।
अप्रैल 2003 में भारत विश्व के उन पाँच देशों में शामिल हो गया जिनके पास एक टेरॉफ्लॉफ गणना की क्षमता वाले सुपरकम्प्यूटर हैं। परम पद्म नाम का यह कम्प्यूटर देश का सबसे शक्तिशाली कम्प्यूटर है।
क्वांटम कम्प्यूटर
भविष्य के कम्प्यूटर
सन् 2030 अथवा उसके आसपास आपके डेस्क पर रखा हुआ कम्प्यूटर ट्रांजिस्टरों और चिपों के स्थान पर द्रव से भरा हो सकता है। यह क्वांटम कम्प्यूटर होगा। यह भौतिक नियमों के द्वारा संचालित नहीं होगा। आपका यह कम्प्यूटर अपने ऑपरेशंस के लिए क्वांटम यांत्रिकी (Quantum Mechanics) का प्रयोग करेगा। क्वांटम यांत्रिकी ही टेलीपोर्टेशन (किसी वस्तु को एक स्थान से दूसरे स्थान पर बिना स्थान परिवर्तन के पहुँचाना) और सामानांतर ब्रह्मड (Parallel universe) जैसी सैद्धांतिक संकल्पनाओं का आधार है।
आपका यह क्वांटम कम्प्यूटर एक डाटा रॉकेट होगा। यह शायद पेन्टियम III पर्सनल कम्प्यूटर से 1 अरब गुना ज्यादा तेजी से गणना करने में सक्षम होगा। यह सन् 2030 में पलक झपकते ही पूरे इंटरनेट को खँगाल सकने में सक्षम होगा और सबसे एडवांस सिक्योरिटी कोड को आसानी से तोड़ देगा। यह कोई साइंस फिक्शन नहीं है बल्कि आने वाले कुछ वर्षों में सच्चाई की दुनिया में संभव होने वाला है।
क्वांटम कम्प्यूटर, कम्प्यूटर चिपों के स्थान पर परमाणुओं का प्रयोग गणना के लिए करते हैं।प्रारंभिक क्वांटम कम्प्यूटर काफी पुरातन, खर्चीले और परीक्षण के स्तर पर ही हैं। किंतु उनके निर्माण ने सिद्ध कर दिया है कि आने वाला समय इन्हीं कम्प्यूटरों का है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी की प्रयोगशालाओं में क्वांटम कम्प्यूटर से सम्बंधित प्रोजेक्टों पर जोर-शोर से कार्य जारी है। अमेरिकी सरकार ने लॉस अलामॉस नेशनल प्रयोगशाला में क्वांटम कम्प्यूटिंग लैब की स्थापना की है।
मगर यहां पर एक समस्या है कि सैद्धांतिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण से क्वांटम कम्प्यूटिंग काफी कठिन कार्य है। व्यावहारिक रूप से ऐसी परिस्थिति पैदा करना जहाँ परमाणु गणना कर सकें और उनसे परिणाम प्राप्त हो, यह वैज्ञानिकों के लिए बड़ी चुनौती है। सिद्धांत के दृष्टिïकोण से क्वांटम यांत्रिकी उन क्षेत्रों में डुबकी लगाती है जो सोचने के दायरे से लगभग बाहर हैं। उदाहरण के लिए यह संभव है कि क्वांटम कम्प्यूटर के पास अनंत संख्याओं वाले समानांतर ब्रह्मडों के लिए अनंत संख्या के सही उत्तर हों। आप जिस ब्रह्मïांड में इस समय हैं क्वांटम कम्प्यूटर उसके लिए सही उत्तर दे सकता है। दुनिया के सबसे विख्यात क्वांटम कम्प्यूटिंग वैज्ञानिक आई बी एम के चाल्र्स बेनेट का इस बारे में कहना है कि इन चीजों को स्वीकार करने के लिए काफी साहस की जरूरत है। यदि आप इन चीजों में विश्वास करते हैं तो आपको कई विचित्र चीजों पर विश्वास करना होगा।
इसका परिणाम है कि व्यावहारिक क्वांटम कम्प्यूटिंग अभी भी दशकों दूर है। वर्तमान में वैज्ञानिकों के क्वांटम कम्प्यूटिंग प्रयास उसी तरह के हैं जैसे विद्युत के सिद्धांतों के परीक्षण के लिए बेंजामिन फ्रैंकलीन ने कड़कती बिजली में पतंग उड़ाई थी। प्रयोगशालाओं में कार्यरत् वैज्ञानिकों के लिए अगला चरण इस अविश्वसनीय शक्ति को नियंत्रित और उपयोग करने का है।